Architectural ruins

Swami Vivekanand ji stayed at this place in Meerut

मेरठ की आबो हवा में हैं धनवंतरी का वास , स्वास्थ्य वर्धन के लिए स्वामी विवेकानंद जी ने भी यहीं रहना किया था पसंद।। स्वामी विवेकानंद जब अपने कुछ गुरु भाइयों के साथ उत्तर भारत के दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे, तो उनके साथी अखंडानंद काफी बीमार हो गए। उन्हें इलाज के लिए अक्टूबर 1890 में ऋषिकेश से मेरठ लाया गया। इसके कुछ ही दिनों बाद स्वामी विवेकानंद को भी गंभीर बीमार अवस्था में मेरठ लाया गया। यहां डॉ। त्रैलोक्यनाथ घोष के घर पर रहकर उनका इलाज हुआ। थोड़ा स्वास्थ्य लाभ होने पर स्वामी जी अपने परिचित यज्ञेश्वर बाबू के माध्यम से मेरठ में रेलवे रोड स्थित ‘सेठ जी का बगीचा’ राम-बाग ,तालाब वाली कोठी नाम से प्रसिद्ध कोठी में रहने के लिए गए। ढाई महीने मेरठ रहने के बाद वो दिल्ली प्रस्थान कर गए। यहां निवास के दौरान स्वामी विवेकानंद के कुछ अन्य शिष्य भी यहां आकर रहने लगे। स्वामी जी रोज उनको संस्कृत ग्रंथों का पाठ करके समझाया करते थे। घंटाघर स्थित सर लायल लाइब्रेरी से रोज एक ग्रंथ मंगवाया जाता और पूरा पढऩे के बाद अगले दिन उसको वापस कर दिया जाता। इस बारे में उस समय के लाइब्रेरियन केपी बोस को हैरानी होती। उन्होंने स्वामी जी से अपने द्वारा पढ़ी गई हर पुस्तक पर दस्तखत करने के लिए कहा। वह पुस्तकालय आज भी घंटाघर पर तिलक पुस्कालय के नाम से टाउन हॉल में स्थित है, लेकिन वे पुस्तकें आज वहां नहीं हैं। मेरठ को नहीं भूलेस्वामी विवेकानंद के कुछ पत्रों द्वारा उनके मेरठ प्रवास की पुष्टि होती है। अमेरिका से उन्होंने 1894 में अपने गुरु भाई को एक पत्र लिखा जिसमें मेरठ का उल्लेख किया गया। फिर 1895 में उन्होंने अखंडानंद को इंग्लैंड से एक पत्र भेजा जिसमें लिखा था कि कलकत्ता और मद्रास में धर्म प्रचार केंद्र खोलने के बाद अब मेरठ व अजमेर में केंद्र खोला जाए। उन्होंने लिखा कि गुरुभाई काली को मेरठ भेजकर यज्ञेश्वर बाबू के सहयोग से केंद्र की स्थापना की जाए।



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