Architectural ruins

Tomb of Mahabat Khan's Daughter Agra, known as the city of the Taj, is home to several historic monuments built by the Mughals.

Tomb of Mahabat Khan's Daughter Agra, known as the city of the Taj, is home to several historic monuments built by the Mughals. One such monument is the tomb of Mahabat Khan's daughter. Mahabat Khan, a Mughal general, had captured Emperor Jahangir. This tomb is protected by the Archaeological Survey of India (ASI), but illegal encroachments around it make it difficult for tourists to visit. It is located in Shahid Nagar, Agra. Structure of the Tomb Built with lakhori bricks and lime, the tomb features red sandstone on its outer walls. It showcases beautiful carvings and is square-shaped, elevated on a platform. Inside, the walls are adorned with exquisite Mughal-era paintings over white plaster. The interior is octagonal, topped with a dome. Encroachments and Current Status The tomb is surrounded by unauthorized constructions, with ASI records indicating illegal occupation of the surrounding land. Because of this, the tomb has become hidden among the buildings, and access has been restricted as ASI has locked its doors. About Mahabat Khan His real name was Zaman Beg, and he began his military career in Prince Salim's (later Emperor Jahangir) personal army. In 1605, when Jahangir ascended the throne, Mahabat Khan's rank increased, and he became the chief commander of the Mughal army after suppressing a rebellion in 1623. His growing popularity in the Mughal court led to discontent among officials, prompting his appointment as the governor of Bengal, far from the capital. Rebellion and Death In 1626, Mahabat Khan rebelled against Jahangir after being mistreated by Empress Nur Jahan. He captured Jahangir, but his reign was short-lived. He declared himself emperor of India but soon surrendered to Nur Jahan's plans. Eventually, he was forgiven and appointed governor of Ajmer and later the Deccan. Mahabat Khan died in 1634. महाबत खां की बेटी का मकबरा. ताज के शहर में कई स्मारक हैं। मुगलों ने आगरा में कई स्मारकों का निर्माण कराया था। उनमें से एक मकबरा है महाबत खां की बेटी का। मुगल सेनापति महाबत खां ने मुगल शहंशाह जहांगीर को बंदी बनाया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा ये संरक्षित स्मारक है। आज इस स्मारक के आसपास अतिक्रमण हो गया है और पर्यटक इसका दीदार नहीं कर पाते हैं। आगरा के शहीद नगर में ये स्मारक स्थित है। लाखौरी ईंटों और चूने से बना है मकबरा महाबत खां ने ताजमहल की पूर्वी दिशा में अपना घर बनवाया था। इसमें बाग के साथ उसने मस्जिद भी बनवाई थी। उसके घर अब अस्तित्व में नहीं है। शहीद नगर में उसकी बेटी का मकबरा बना हुआ है। * मकबरा लाखौरी ईंटों और चूने से बने मकबरे की बाहरी दीवारों पर रेड सैंड स्टोन लगा हुआ है * मकबरे में कार्विंग का खूबसूरत काम है * एक ऊंचे प्लेटफार्म पर बना मकबरा वर्गाकार है * मकबरे की भीतरी दीवारों पर चूने के सफेद प्लास्टर पर मुगलकालीन पेंटिंग का खूबसूरत काम है * अंदर से यह मकबरा अष्टकोणीय है और उसके ऊपर गुंबद बना हुआ है अवैध कब्जा हो चुका है मकबरे में मकबरे से सटकर निर्माण हो चुके हैं, एएसआइ के रिकार्ड के अनुसार मकबरे की आसपास की जमीन पर अवैध कब्जा है, जिसे खाली नहीं कराया जा सका है। शहीद नगर में हुए निर्माणों के बीच यह मकबरा छुप गया है। मकबरे को देखने के लिए कोई नहीं पहुंचता। एएसआइ ने भी इसके दरवाजे पर ताला लगा रखा है। जहांगीर को बनाया था बंदी * महाबत खां का असली नाम जमान बेग था * उसने सैन्य करियर की शुरुआत शहजादा सलीम (शहंशाह जहांगीर) की निजी सेना में शामिल होकर की थी * महाबत खां को 500 सिपाहियों का प्रभारी बनाया गया था * वर्ष 1605 में जब जहांगीर शहंशाह बना तो उसने महाबत खां का ओहदा बढ़ाकर 1500 सैनिक कर दिया था * शहजादा खुर्रम (शहंशाह शाहजहां) के वर्ष 1623 में दक्कन में किए गए विद्रोह को दबाने पर महाबत खां को मुगल सेना का चीफ कमांडर बना दिया गया था मुगल दरबार के अधिकारियों को नहीं पसंद आई लोकप्रियता मुगल दरबार के कई अधिकारियों को उसकी बढ़ती लोकप्रियता पसंद नहीं आ रही थी। उसे बंगाल का गर्वनर बनाकर वहां जाने को कहा गया, जो कि मुगल राजधानी लाहौर से काफी दूर था। वर्ष 1626 में मुगल साम्राज्ञी नूरजहां द्वारा किए गए दुर्व्यवहार ने उसे बगावत को मजबूर कर दिया। झेलम के तट पर पड़ाव डाले शहंशाह जहांगीर के खेमे पर महाबत खां ने आक्रमण कर दिया। जहांगीर को बंदी बना लिया गया, लेकिन नूरजहां किसी तरह बच निकली। महाबत खां ने काबुल में स्वयं को भारत का शहंशाह घोषित कर दिया, लेकिन उसकी यह सफलता कुछ ही दिनों की रही। नूरजहां ने योजना बनाकर महाबत खां के समक्ष समर्पण कर दिया। 1634 में हुई मौत जहांगीर के वफादार लाेगों की सहायता से उसने जहांगीर और स्वयं को लाहौर में राजपूत सैनिकों से मुक्त करा लिया। महाबत खां को घायल राजपूत सैनिकों और उनके परिवारों के साथ गोरखपुर के किले में शरण लेनी पड़ी। शाहजहां ने उसे अजमेर का गर्वनर बनाया था। उसे दक्कन का गर्वनर बनाया गया, वर्ष 1634 में महाबत खां की मौत हो गई। .1

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