दिल्ली की जमाली-कमाली मस्जिद को क्यों समझा जाता है भूतिया ? .
दिल्ली की जमाली-कमाली मस्जिद को क्यों समझा जाता है भूतिया ? .
यह वही मस्जिद है जिसने महान मुगल वास्तुकला शैली की नींव रखी। माना जाता है कि मुगल बादशाहों की ओर से झरोखा व्यवस्था भी यही से शुरू हुई, क्योंकि, झरोखा के लिहाज से जिस तरह की बनावट यहां है, वो इससे पहले के स्मारकों में नहीं दिखती है।
पुरानी इमारतों में यदि लोगों की आवाजाही कम हो जाए तो उसे भूतिया कह देना भारत में नई बात नहीं है। कुछ ऐसा ही दिल्ली की जमाली-कमाली मस्जिद के साथ भी है। दिल्ली में कुतुब मीनार के ठीक बगल में बनी यह मस्जिद एक खूबसूरत पुरातात्विक स्थल है। आश्चर्य की बात यह है कि जहां कुतुब मीनार देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ जुटी रहती है, वहीं पास की इस मस्जिद से पर्यटकों का रुझान नहीं के बराबर है। लोग शायद ही कभी यहां घूमने आते हैं। यह मुगल काल का एक और प्रमुख स्मारक है जो अभी भी दिल्ली के पुराने खंडहरों के बीच खड़ा है, लेकिन समय के साथ इसकी चमक खो गई है। यहां भूत या जिन्न के होने की अफवाहें उड़ती रहती हैं, जिससे यह मस्जिद जरूर चर्चा में रहती है।
आईए जानते हैं कि आख़िर कौन थे जमाली और कमाली
जमाली कमाली मस्जिद का इतिहास इससे लगे हुए मक़बरे से जुड़ा है. यहाँ मौजूद हैं 2 क़ब्रें जिनमें दफन हैं जमाली और कमाली।
जमाली - या शेख फ़ज़्लुल्लाह कम्बोह 16 वीं सदी के एक बड़े मशहूर सूफी शायर थे। शेख फ़ज़्लुल्लाह कम्बोह ने 3 सुल्तानों का दौर देखा था। इसमें लोदी वंश के सिकंदर लोदी और मुग़ल वंश के बाबर और हुमायूँ शामिल थे. शेख फ़ज़्लुल्लाह को तीनों ही सुल्तान के दरबारों में बड़ा सम्मान हासिल था. सिकंदर लोदी खुद भी एक शायर था इस लिए शेख फ़ज़्लुल्लाह की मौजूदगी उसे पसंद थी।
इसके बाद मुग़ल सल्तनत का पहले सुल्तान बाबर भी शेख फ़ज़्लुल्लाह का काफी नज़दीकी रहा। बाबर ने अपने दौर में ही इस मस्जिद का निर्माण शेख फ़ज़्लुल्लाह के लिए कराया था। मस्जिद की सही निर्माण तिथि तो नहीं मालूम लेकिन साल 1528-29 के बीच इसको बनवाया गया था।
बात करें कमाली की तो इतिहास में कमाली को लेकर ज़ियादा जानकारी उपलद्ध नहीं है लेकिन यह बात स्पष्ट है कि कमाली शेख फ़ज़्लुल्ला के सबसे क़रीबे और पसंदीदा शिष्य थे। यही वजह रही कि उनको भी अपने गुरु शेख जमाली के पास ही दफनाया गया है। अकसर सूफीवाद में गुरु और शिष्य की परंपरा की मिसाल देखने को मिलती है। जैसा निजामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो वैसे ही शेख जमाली और कमली।
हालांकि, जमाली-कमाली मस्जिद का गौरवशाली इतिहास है, लेकिन भूतिया कहानियों ने इसे अतीत की कहानी बना दिया है। कथित तौर पर यह साइट अतीत की भूतिया कहानियों के साथ-साथ कुछ अस्पष्ट घटनाओं से जुड़ी हुई है। कई लोग खुद को इन अजीब घटनाओं के साक्षी होने का भी दावा करते रहे हैं।
बहुत से लोगों का दावा है कि जमाली-कमाली में भूत और जिन्न रहते हैं। जबकि कई लोगों ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने रोशनी, जानवरों के गुर्राना, भूत, और उनके ठीक बगल में किसी और की भावना का अनुभव किया है! जो लोग इस जगह का दौरा कर चुके हैं, उन्होंने यह देखने के लिए रिकॉर्ड किया है कि उन्हें लगा कि कोई खंभे के पीछे से देख रहा है, लेकिन जब उन्होंने आसपास खोज की तो उन्हें कोई नहीं मिला। कुछ ने यह भी कहा कि उन्होंने हंसने की आवाजें सुनी हैं, और अदृश्य ताकतों ने उन्हें थप्पड़ मारा है।
हालांकि, रेकॉर्ड के अनुसार ड्यूटी पर मौजूद एक सुरक्षा गार्ड से जब इस मामले में पूछताछ की गई, तो उसने कहा कि वह दिन और रात दोनों समय मस्जिद में रहा था, लेकिन उसने कभी भी किसी भी तरह की अपसामान्य गतिविधियों को महसूस नहीं किया। साथ ही कहा कि ये सभी मनगढ़ंत कहानियां हैं। हालांकि, इन अफवाहों के कारण अब सीढ़ियों के साथ-साथ कब्रों पर भी ताला लगा हुआ है। यहां तक कि जुमे की नमाज को भी मस्जिद के भीतर प्रतिबंधित कर दिया गया है ताकि एक समय में खूबसूरत रहे इस स्मारक में जो कुछ बचा है उसका संरक्षण किया जा सके। कहीं ना कहीं, इन अफवाहों के कारण ही इस मस्जिद को वो तवज्जो नहीं मिल रहा है जिसका यह हकदार है।
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