दिल्ली का 'अशोक स्तंभ' कभी था मेरठ की शान, फिरोज़ शाह तुगलक ने ऐसे कराया था शिफ्ट, जानें 7 फैक्ट.
दिल्ली का 'अशोक स्तंभ' कभी था मेरठ की शान, फिरोज़ शाह तुगलक ने ऐसे कराया था शिफ्ट, जानें 7 फैक्ट.
कभी मेरठ की शान रहा अशोक स्तंभ अब राजधानी दिल्ली का मान बढ़ा रहा है। दिल्ली विवि के नॉर्थ कैंपस के पास हिंदूराव के सामने लगा अशोक स्तंभ कभी मेरठ की शान हुआ करता था। जिसे हिंदुस्तान पर राज करने वाला फिरोज़ शाह तुगलक दिल्ली ले गया। आज हम आपको बता रहे हैं अशोक स्तंभ से जुड़े ऐसे ही फैक्ट जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे:-
फिरोज़ शाह तुगलक सन 1364 के आसपास मेरठ आया था। मेरठ भ्रमण के वक्त उसकी नज़र अशोक स्तंभ पर पड़ी। स्वयं सम्राट अशोक द्वारा स्थापित कराए गए इस स्तंभ की खूबसूरती पर फिरोज़ शाह तुगलक रीझ गया। जिसके बाद उसने तय किया कि खिज्राबाद की तरह मेरठ में लगे इस अशोक स्तंभ को भी वो अपने किले में स्थापित कराएगा।
इसी इरादे को पूरा करने के लिए फिरोज़ शाह ने 42 पहियों की एक खास गाड़ी तैयार कराई। इस गाड़ी में 4 हजार से ज्यादा मजदूरों को लगाया गया। जो मेरठ से इस अशोक स्तंभ को उठाकर दिल्ली ले गए। रुई और मखमल के थान में लपेटकर स्तंभ को ससम्मान दिल्ली ले जाया गया। जहां फिरोज़ शाह के किले में उस-ए-शिकार (हंटिंग लॉज) में लगाया गया।
पांच भागों में बंट गई थी मीनार
इतिहासकारों के अनुसार सन 1713 या 1719 के बीच यह मीनार पांच भागों में बंट गई थी। इतिहासकारों के मुताबिक उस-ए-शिकार में जहां फिरोज़ शाह ने मीनार को लगवाया था वहां एक बार बारुद के कारण आग लग गई थी। आग लगने से मीनार के पांच टुकड़े हो गए। फिर अंग्रेजों ने 1857 में इन पांचों टुकड़ों को जोड़कर इस मीनार को बड़ा हिंदूराव के सामने लगवा दिया। जहां यह आज भी लगी है। इतिहासकारों कें अनुसार यह स्तंभ शहर के समीप दो स्थानों पर लगे होने के प्रमाण मिलते हैं। शहर के भीतर टीले वाला कोतवाली का हिस्सा व शहर के बाहर जहां अब हापुड़ अड्डा है वहां यह मीनार लगी थी।
आज भी अशोक स्तंभ पर लगे शिलालेख में इस बात का जिक्र है कि इसे मेरठ से लाकर दिल्ली में फिरोज़शाह तुगलक ने स्थापित किया। स्तंभ के नीचे लगे पत्थर में अंग्रेज़ी में पूरा विवरण दर्ज है जिसमें लिखा है कि थर्ड सेंचुरी में सम्राट अशोक ने इस स्तंभ को स्थापित कराया था। पूरी कहानी शिलालेख बयां करता है।
पर्यटन का बन सकती थी हिस्सा
मेरठ से अशोक स्तंभ दिल्ली ले जाकर वहां स्थापित कर दिया गया। अगर यह मेरठ में ही होता तो मेरठ का ऐतिहासिक महत्व व पर्यटन महत्व और विस्तृत होता। युवाओं को इतिहास की जानकारी देने में अहम भूमिका निभाता। - डॉ. अमित पाठक, इतिहासकार
मेरठ का गौरव था यह स्तंभ
अशोक स्तंभ मेरठ का गौरव था। बड़ी बात यह कि इसे स्वयं सम्राट अशोक ने स्थापित किया था। विश्व में सम्राट अशोक ने जो लाट बनवाईं उनमें से मेरठ में स्थापित हुई यह लाट प्रमुख थी। जो अब दिल्ली की शान है। - डॉ. केडी शर्मा, इतिहासकार
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