"ताजमहल की खूबसूरती रात के साए में और भी निखर जाती है। जैसे चाँद की चाँदनी इस सफेद संगमरमर पर बिखरती है, हर कोना एक नई कहानी सुनाता है। 'दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त, दर्द से भर न आए क्यों' - ग़ालिब की ये पंक्तियाँ ताज की मोहब्बत की गहराई को बयां करती हैं। #nikhilstudiodharma #streetphotography #stud
"ताजमहल की खूबसूरती रात के साए में और भी निखर जाती है। जैसे चाँद की चाँदनी इस सफेद संगमरमर पर बिखरती है, हर कोना एक नई कहानी सुनाता है।
'दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त, दर्द से भर न आए क्यों' - ग़ालिब की ये पंक्तियाँ ताज की मोहब्बत की गहराई को बयां करती हैं।
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